दंतेवाड़ा, 21 फरवरी 2022। महिलाएं हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। महिलाए रोज़गार से जुड़कर अपने लिए तरक्की का मार्ग चुन रही हैं। वह स्वयं आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ अन्य महिलाओं को भी रोज़गार के लिए प्रेरित कर रही है। जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रेशम कीटपालन ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में कारगर सिद्ध हो रहा है। इस तरह महिलाएं रेशम की धागों से अपनी किस्मत बुन रही है। जिले में विभाग द्वारा रेशम कीटपालन योजना किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन रही है। इस व्यवसाय को अपनाकर वे अपनी आजीविका को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। रेशम रोजगार से जुड़ी महिला रेशम कृमिपालन समिति की महिलाएं रेशम केन्द्र चितालंका में शहतूती रेशम कृमिपालन का कार्य कर रही है। कृमिपालन पश्चात् उत्पादित कोसे को विक्रय कर के आर्थिक आय अर्जित करती है। वर्ष 2021-22 में द्वितीय फसल अंतर्गत 1400 स्वस्थ दिम्ब समूह अण्डो का कृमिपालन किया गया। विभाग के कर्मचारियों की देखरेख में समिति की महिलाओं ने 230 कि.ग्रा. मल्टी वोल्टाईन मलबरी कोसा उत्पादन किया, उत्पादित कोसे का विक्रय कर उन्हें 40250/-रूपये प्राप्त हुए। इस प्रकार महिलाओं को द्वितीय फसल से 5000-6000 रूपए तक औसत आय प्राप्त हुई। इस व्यवसाय इनको अच्छी खासी आमदनी मिल रही है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है बल्कि उन्हें घर पर रह कर ही अतिरिक्त आमदनी होने लगी है। अच्छी आमदनी मिलने से न उनका मनोबल भी मजबूत हुआ है। वर्तमान में भी महिलाएं 400 स्वस्थ डिम्ब समूह कृमिपालन कार्य कर रही है एवं उत्पादन होने वाले कोसे से अच्छे लाभ की आशा रखती है। महिलाएं जो पहले गृहकार्य करती थी ये अब रेशम आधारित रोजगार से जुड़कर आय अर्जित कर रही है एवं घरेलू आवश्यताओं की पूर्ति के साथ-साथ परिवार की प्रगति में समान योगदान दे रही है। रेशम विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे रोजगार के साधनों से हितग्राही आज निश्चित तौर पर लाभावित एवं सन्तुष्ट है।न केवल उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है बल्कि वह सशक्त भी हो रही हैं।
दंतेवाड़ा - रेशम के धागों से सवंर रहा जीवन का ताना-बानारेशम कीट पालन से महिलाओं ने पायी आर्थिक समृद्धिस्वयं आत्म निर्भर बनकर अन्य महिलाओं को दी प्रेरणा
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