रोशन कुमार सोनी
मो - 7440966073अम्बिकापुर / विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर मंगलवार को जिला स्तर पर रेबीज के संबंध में जागरूकता हेतु जागरूकता रथ को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया ।
इस अवसर पर सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ० अनिल प्रसाद ने रेबीज के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है परंतु इसके रोक-थाम पूर्णतः संभव है। रेबीज बीमारी कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोंचने के कारण हो सकता है किन्तु ज्यादातर लोग कुत्ते के काटने से प्रभावित होते हैं। रेबीज से बचाव संभव है किन्तु सही समय पर उपचार एवं टीकाकरण नहीं किया गया तो जान भी जा सकती है। मनुष्य में रेबीज से बचाव के लिए कई उपाय हैं जैसे घाव को अच्छी तरह से साबुन व साफ पानी से धोएं और घाव को खुला ही छोड़ दें। अपने नजदीकी क्लीनिक या स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर डॉक्टर की सलाह के अनुसार एंटी रेबीज का टीका लगवाएं, चिकित्सक के मार्गदर्शन के अनुसार एंटी-रेबीज और एम्यूनोग्लोबिन सिरम का टीकाकरण का कोर्स सुनिश्चित करें। रेबीज से मनुष्य के तंत्रिका तंत्र पूरी तरह से प्रभावित होते हैं।
नोडल अधिकारी डॉ० शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि रेबीज का टीका अत्यंत आवश्यक है रेबीज से बचाव के लिए टीका तत्चा में या मांसपेशियों में लगवाएं। जानवर के काटने के बाद पहला टीका उसी दिन लगवाएं। टीका लगवाने के दो विधि है अगर इंट्रा-डर्मल रूट से टीकाकरण करवा रहे हैं तो 3, 7 और 28 दिवस का टीका लगवाएं यदि इंट्रा-मसक्यूलर रूट से टीकाकरण करवा रहे हैं तो 3, 7, 14 व 28 दिवस में टीका लगवाएं। नोडल अधिकारी ने रेबीज के संबंध में बताया कि माह जनवरी 2021 से माह अगस्त 2021 तक जिले में कुल 1691 लोग रेबीज से पीड़ित हुए जिनमें कुत्ते के काटने की संख्या 1535, बिल्ली से 85, बंदर से 27 एवं भालू से 44 शामिल है। साथ ही कुल 1691 लोगों ने रेबीज का टीकाकरण पूर्ण किया। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ० पूष्पेन्द्र राम ने रेबीज दिवस के अवसर पर पालतु जानवरों को मनुष्य में रेबीज के खतरे को देखते हुए पूर्णतः टीकाकृत कराने आमजनों से अनुरोध किया।
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