रोशन कुमार सोनी
मो - 7440966073
रायगढ़, 27 सितम्बर2021/ छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के किसानों को स्वावलंबी बनाने एवं गांवों की अर्थव्यवस्था सुधारने महत्वपूर्ण कार्य निरंतर किए जा रहे है। जिससे आजीविका मूलक कार्यो को ग्रामीण संसाधनों से जोड़कर पारम्परिक क्रियाकलापों को व्यावसायिक रूप दिया जा सके। इसी कड़ी में शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी के माध्यम से जिले मेें बाड़ी विकास पर कार्य किए जा रहे है। योजना के फलस्वरूप उद्यानिकी अंतर्गत सामूहिक बाडिय़ों के साथ ही निजी बाडिय़ों के रकबे में अतिरिक्त रकबे का विस्तार हुआ है। बाडिय़ों के माध्यम से हितग्राहियों को लगभग 6 करोड़ के सब्जियों का उत्पादन किया है जिसके लाभ से हितग्राही आर्थिक रूप से सशक्त हुए है।
रायगढ़ जिले में इसका सकारात्मक बदलाव उद्यानिकी रकबे में विस्तार से लगाया जा सकता है। सहायक संचालक उद्यानिकी डॉ.दीवान ने बताया कि जिले में 9 हजार 563 बाड़ी विभाग तथा जिला खनिज न्यास निधि द्वारा 4 हजार 190 कुल 13 हजार 753 बाडिय़ों का निर्माण कराया गया हैं। इन बाडिय़ों के माध्यम से हितग्राहियों द्वारा 40 हजार क्विंटल साग-सब्जियों का उत्पादन किया गया। जिसकी 15 रूपए के औसत मूल्य पर 6 करोड़ रूपए होते है। बाडिय़ों से हो रही अच्छी आय से ग्रामीणों में बाडिय़ों के प्रति सकारात्मक रूचि दिखाई दे रही है। जिसके कारण आने वाले समय में बाडिय़ो की रकबे में अतिरिक्त विस्तार की संभावनाएं बढ़ रही है।
पुसौर विकासखण्ड के ग्राम-गुडग़हन निवासी श्री बोधराम गुप्ता पोषणबाड़ी के हितग्राही है। उन्होंने बताया कि बाडिय़ों में उत्पादित सब्जियों को स्वयं का उपयोग के बाद अतिरिक्त उपज को स्थानीय बाजारों में बेचकर उन्होंने 8 से 10 हजार रुपये मासिक अतिरिक्त आय अर्जित किया। लैलूंगा विकासखण्ड के ग्राम-झरन निवासी श्री कार्तिक पैंकरा एवं श्री चिरू प्रसाद पैकरा ने बताया कि पोषण बाड़ी से उन्हें 5 से 6 हजार रुपये मासिक अतिरिक्त आय की प्राप्ति हुई है। जिससे उन्होंने अपने घरेलू उपयोग में खर्च किए, जिससे आर्थिक भार कम हुआ। हितग्राहियों के प्रोत्साहन में जिला प्रशासन का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। कलेक्टर श्री भीम सिंह के निर्देश पर जिले के बाड़ी हितग्राहियों का आंगनबाडिय़ों से लिंकेज कराया। जिसके फलस्वरूप 382 आंगनबाडिय़ों द्वारा 566 बाड़ी हितग्राहियों से लगभग 103 क्विंटल सब्जियों की खरीदी की गई। इसी क्रम में विस्तार प्रदान करते हुए जिले के 9 विकासखण्डों में 60 हेक्टेयर शासकीय भूमि में सामुदायिक बाड़ी का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान में 6 सामुदायिक बाडिय़ों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है, जबकि शेष प्रगतिरत है। इन सामुदायिक बाडिय़ों में आम, अमरूद, कटहल, नींबू, सीताफल, लीची, काजू जैसे लगभग 12 हजार 880 फलदार पौधों का रोपण किया गया है। 22 स्व-सहायता समूहों द्वारा इन रोपित पौधों के बीच बरबटी, भिंडी, कद्दू वर्गीय फसल शकरकंद, पत्तेदार साग-सब्जियों की खेती की जा रही है। जिससे नगद राशि प्राप्त किया जा सके। चूंकि आगामी 3 वर्षो के पश्चात ही इन फलदार पौधों से फसल प्राप्त का विक्रय कर आय प्राप्त कर सकते है। यही कारण है कि वर्तमान में इंटर क्रॉपिंग के माध्यम से साग-सब्जियों की खेती से उत्पादित फसल का विक्रय कर स्व-सहायता समूह की महिलाएं अच्छी आय प्राप्त कर रही है। इससे उनकी आय में वृद्धि होने से वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुई है। उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होने से अन्य महिलाएं भी समूह की क्रियाकलापों में रूचि दिखाने लगी है।
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