• ■ 30 अक्टूबर को गुड़ेली की लाइमस्टोन की सबसे बड़ी खदान की जनसुनवाई
  • ■ शिव अग्रवाल जगदंबा स्पंज 2.926 हे., नितिन सिंघल 3.113 हे. की पर्यावरणीय सम्मति के लिए क्षेत्रवासियों का समर्थन मांगा जा रहा है
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  • ब्यूरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
  • छत्तीसगढ़
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रायगढ़, 21 अक्टूबर। कई सालों से टिमरलगा और गुड़ेली का दोहन कर रहे क्रशर संचालकों ने कभी क्षेत्र के पर्यावरण की चिंता नहीं की। खदानों की लीज स्वीकृत करते समय ग्रीन बेल्ट विकसित करने शर्त होती है। अब होने वाली जनसुनवाई में तीनों क्रशर संचालकों के सामने भी यह शर्त है। जो ईआईए रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, उसमें कहा गया है कि क्षेत्र में 4167 पौधे रोपे जाएंगे और हरित पट्टिका का विकास किया जाएगा।

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सौ से ज्यादा क्रशरों को अपनी छाती पर ढोने वाले गुड़ेली और टिमरलगा की हालत बद से बदतर होती जा रही है। इतने सालों कें केवल हाइवे का निर्माण ही एकमात्र राहत की बात है। न तो डस्ट कम हुआ और न ही अंदरुनी सड़कों की हालत सुधरी। क्रशरों को ग्रीन बेल्ट का विकास भी करने की शर्त पूरी करनी होती है।

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इतने सालों से किसी क्रशर ने अपने परिसर में पर्याप्त वृक्षारोपण नहीं किया है। अब 30 अक्टूबर को गुड़ेली की लाइमस्टोन की सबसे बड़ी खदान की जनसुनवाई होनी है। इसमें शिव अग्रवाल जगदंबा स्पंज 2.926 हे., नितिन सिंघल 3.113 हे. की पर्यावरणीय सम्मति के लिए क्षेत्रवासियों का समर्थन मांगा जा रहा है। तीनों ने ईआईए रिपोर्ट नोएडा के मे. एसीरिज इन्वायरोटेक इंडिया प्रालि से तैयार करवाई है।

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 पहले से दूषित गुड़ेली में अब इतनी बड़ी खदान खुलेगी जिसमें कई पेड़-पौधे कट जाएंगे। इसके बदले 4167 पौधे लगाने का वादा किया गया है। इसके पूरा होने की उम्मीद कम है क्योंकि इन्हीं क्रशर संचालकों ने पहले के प्रोजेक्ट में शर्तों का पालन नहीं किया है।

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