छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

रायगढ़। 24 जनवरी को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें रायगढ़ जिले के लिए अच्छी बात यह है कि महिलाओं की तादात बीते 5 वर्षों में बढ़ी है। 2015-16 के प्रति 1000 में 985 महिलाओं के मुकाबले लिंगानुपात 2020-2021 में 1023 तक पहुंच गया है। यानी जिले में बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम का अच्छा प्रभाव पड़ा है।

विकास खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.अभिषेक पटेल ने कहा कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष का समय गुजरने के बाद भी हम सामाजिक कुरीतियों की सोच से मुक्त नहीं हो सके हैं। आज भी समाज के पढ़े लिखे लोग बेटा और बेटी में फर्क करते हैं, हमें इस सोच को बदलना होगा, तभी सुंदर व सभ्य समाज की स्थापना हो सकती है। आज बेटियां बेटों के बराबर कदम से कदम मिलाकर काम कर रही हैं, फिर भी उन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है। हमें इस सोच के साथ पुरानी कुप्रथाओं को भी बदलना होगा। बेटी ही मां, बहन और पत्नी के अलग-अलग रूपों में सभी का ध्यान रखती है तथा समाज के अस्तित्व को जिंदा रखे हुए है।

▪️सभी को मिलकर काम करना होगा : डॉ. पटेल

सिविल अस्पताल प्रभारी डॉ. दिलेश्वर पटेल कहते हैं देश की बेटियों की आज लगभग हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है, लेकिन एक दौर ऐसा था, जब लोग बेटियों को पैदा करना ही नहीं चाहते थे और लिंग परिक्षण कराकर गर्भपात भी कराते थे। बेटों और बेटियों में भेदभाव, उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आजादी के बाद से ही भारत सरकार प्रयासरत हो गई थी। बेटियों को देश में प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई कानून पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ लागू किए गए। यह दिवस मनाने का उद्देश्य देश की बालिकाओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना है। समाज में उचित सम्मान एवं प्रत्येक क्षेत्र में समान अवसर मिले। 24 जनवरी को हर साल महिला सशक्तिकरण संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ताकि समाज में बेटा एवं बेटी में समानता की भावना उत्पन्न हो। इसके लिए हम सब मिलकर जन-जन को जागरूकता हेतु प्रेरित करें।

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