राहतगढ़ के किला परिसर में स्थित डुहेला लगता है आकर्षण का केंद्र,, 

बुंदेली दर्शन अभिषेक राजपूत राहतगढ़ ,

 सागर जिले में प्राकृतिक संपदा का ऐतिहासिक महत्व रखती है नगर में एक कुछ ऐसा ही है जो पर्यटन स्थल के कुतूहल से भरा भी है एक और जहां भीषण गर्मी में जल स्त्रोत सूख जाते हैं तो यह कुंड भी न सूखने वाला जल स्त्रोत है यह कभी भी नहीं शुभदा सूखता इसके साथ ही इस मौजूद खनिज तत्व इसे औषधि और गुणकारी भी बनाते हैं नगर व क्षेत्र में भीषण गर्मी के चलते जहां अनेक जल स्त्रोत दम तोड़ते जा रहे हैं और जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है जिससे हर जगह जल संकट की स्थिति बनने लगी है वहीं राहतगढ़ क्षेत्र में एक ऐसा प्राचीन विशाल जलकुंड है जिसमें गर्मी के मौसम में भी लबालब पानी से भरा रहता है जिसे डु बेला के नाम से जाना जाता है उल्लेखनीय है कि नगर के समीप ऊंची पहाड़ियों पर बने किला परिसर में करीब 1000 वर्ष पुरानी एक अद्भुत विशाल बावड़ी है जो चट्टानों को काटकर बनाई गई है जिसमें 12 महीने लबालब स्वच्छ पानी भरा दिखाई देता है नगर के लोग बताते हैं कि बचपन से ही इस ऐतिहासिक डुबेला को ऐसी ही ऐसी स्थिति में ही देखते आ रहे हैं वही इसकी गहराई और पानी की झीलें कहां से निकलती हैं इसका फिलहाल कोई आकलन नहीं है मान्यता है कि 11वीं शताब्दी में किले के निर्माण के समय उक्त ऊंची पहाड़ियों पर ऐतिहासिक बावड़ी बनाई गई इसके आसपास किनारे पर बड़े-बड़े कंगूरेदार दरवाजे एवं बावड़ी में नीचे जाने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां बनाई गई है वह कुछ समय पहले केंद्रीय संस्कृति व पुरातत्व विभाग ने किले के संरक्षण के लिए बजट देने की घोषणा की है जिसमें इमारतों के साथ-साथ बावड़ी जिला का संरक्षण भी होने की संभावना बनी बनी रहेगी

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