14 विद्याएं और 64 कलाएं: भारतीय ज्ञान और कला की धरोहर
भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा में शिक्षा और कला का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। भारतीय ग्रंथों और पुराणों में 14 विद्याओं और 64 कलाओं का उल्लेख मिलता है। ये विद्याएं और कलाएं समाज को ज्ञान और कौशल से समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। आइए सरल शब्दों में इनके बारे में जानें।
14 विद्याएं
1. वेद: चार वेद – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद – जिनमें धार्मिक ज्ञान और अनुष्ठान विधियां वर्णित हैं।
2. वेदांग: वेदों को समझने के लिए आवश्यक छह अंग – शिक्षा (उच्चारण), कल्प (अनुष्ठान), व्याकरण (ग्रामर), निरुक्त (एटिमोलॉजी), छन्द (मेट्रिक्स), ज्योतिष (खगोल विद्या)।
3. मिमांसा : वेदों की व्याख्या और अनुष्ठानों का विश्लेषण करने वाली विद्या।
4. न्याय : तर्कशास्त्र, जो न्यायपूर्ण और तर्कसंगत विचारधारा सिखाता है।
5. पुराण : प्राचीन कथाएं और इतिहास, जो धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान प्रदान करते हैं।
6. धर्मशास्त्र : नैतिकता और समाजिक नियमों की व्याख्या करने वाली ग्रंथ।
64 कलाएं: भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर
प्राचीन भारतीय संस्कृति में 64 कलाओं का विशेष महत्व था। ये कलाएं व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक मानी जाती थीं। ये कलाएं विविध कौशल और शिल्प को समाहित करती हैं जो एक व्यक्ति को न केवल आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करती हैं। आइए इन 64 कलाओं के बारे में जानें:
1. **गीतविद्या**: गायन कला
2. **वाद्यविद्या**: वाद्ययंत्र बजाने की कला
3. **नृत्यविद्या**: नृत्य कला
4. **नाट्यशास्त्र**: अभिनय कला
5. **चित्रकला**: चित्र बनाने की कला
6. **चित्रलेख**: लेखन कला
7. **ताण्डवकला**: नाट्य और नृत्य में तांडव शैली
8. **ग्रहणविद्या**: ग्रहण विधि (योग, ज्योतिष)
9. **ध्यानविद्या**: ध्यान साधना
10. **संवादविद्या**: संवाद कला
11. **अलंकरण**: आभूषण बनाने की कला
12. **माल्यगुणविद्या**: मालाएं बनाने की कला
13. **सौन्दर्यकला**: सौंदर्य वृद्धि की कला
14. **शयनरचना**: बिस्तर सजाने की कला
15. **कपिधानकला**: वस्त्र धारण करने की कला
16. **द्रव्यगुणविद्या**: औषधियों की पहचान
17. **कुसुमास्नातक**: पुष्प सज्जा की कला
18. **भूषणरचना**: आभूषण निर्माण
19. **धूपनिर्माण**: धूप बनाना
20. **पूजनविधि**: पूजा की विधियां
21. **दीपशिखाकलाकृति**: दीपक सज्जा
22. **विलासकला**: मनोरंजन की कला
23. **प्रहसनकला**: हंसी-मजाक की कला
24. **स्थापनाकला**: मूर्ति स्थापना की कला
25. **सज्जायोग**: साज-सज्जा की कला
26. **संगीतरचना**: संगीत रचना की कला
27. **नाट्यविधि**: नाट्यकला
28. **दर्शनकला**: दर्शन की कला
29. **काव्यकला**: कविता की रचना
30. **वास्तुकला**: भवन निर्माण की कला
31. **धार्मिककला**: धार्मिक विधियों की कला
32. **समीकरणविद्या**: समीकरण बनाने की कला
33. **उद्योगकला**: व्यापार की कला
34. **युद्धविद्या**: युद्ध कौशल
35. **धनुर्विद्या**: तीरंदाजी की कला
36. **शस्त्रविद्या**: शस्त्र संचालन की कला
37. **रथचालन**: रथ चलाने की कला
38. **गजविद्या**: हाथी चलाने की कला
39. **अश्वविद्या**: घुड़सवारी की कला
40. **नावचालन**: नाव चलाने की कला
41. **द्यूतक्रीड़ा**: जुआ खेलने की कला
42. **मन्त्रविद्या**: मन्त्र उच्चारण की कला
43. **यंत्रविद्या**: यंत्र संचालन की कला
44. **आयुर्वेद**: आयुर्वेद की विद्या
45. **पाकशास्त्र**: खाना बनाने की कला
46. **सूत्रकला**: सूत्र धारण की कला
47. **मस्रणकला**: मसाला बनाना
48. **शिल्पविद्या**: शिल्प निर्माण
49. **तत्त्वविद्या**: तत्वों की पहचान
50. **अर्थशास्त्र**: अर्थशास्त्र की विद्या
51. **संस्कृत**: संस्कृत भाषा की विद्या
52. **भाषाशास्त्र**: भाषाओं की विद्या
53. **लोकशास्त्र**: लोक विधियों की विद्या
54. **राजनीतिविद्या**: राजनीति की विद्या
55. **इतिहासविद्या**: इतिहास की विद्या
56. **पुराणविद्या**: पुराणों की विद्या
57. **काव्यशास्त्र**: काव्यशास्त्र की विद्या
58. **छन्दशास्त्र**: छन्दशास्त्र की विद्या
59. **नाट्यशास्त्र**: नाट्यशास्त्र की विद्या
60. **संगीतशास्त्र**: संगीतशास्त्र की विद्या
61. **आकाशविद्या**: खगोलशास्त्र
62. **विभ्रमविद्या**: विभ्रम कला
63. **योगविद्या**: योग की विद्या
64. **प्रणवविद्या**: प्रणव (ॐ) की विद्या
निष्कर्ष
ये 64 कलाएं भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर हैं। इन्हें सीखना और सिखाना न केवल हमारे इतिहास और परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि आज के युग में भी व्यक्तिगत विकास और समाजिक समृद्धि में योगदान देता है। इन कलाओं का अध्ययन और संरक्षण वर्तमान पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोया जा सके और आगे बढ़ाया जा सके।
मैं सूरज सेन अगर इस आर्टिकल में मुझसे किसी उच्चारण या कोई गलती हुई है। तो क्षमा करे।
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