- छत्तीसगढ़ हेड ब्यूरो बुंदेली दर्शनरोशन कुमार सोनीमो - 7440966073
- सरकार का मिलरों को उठाव करने का आदेश, अब तक कोई भी मिलर जांजगीर-चांपा का धान उठाने तैयार नहीं
रायगढ़। एक साल से उपार्जन केंद्रों और संग्रहण केंद्रों में पड़े अमानक धान को लेकर मार्कफेड और राइस मिलरों में खींचतान जारी है। पिछले दिनों सीएम भूपेश बघेल के साथ हुई बैठक में भी मिलरों को उठाव करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन मिलर अब भी डटे हुए हैं। उनका कहना है कि इतने खराब धान की कस्टम मिलिंग कैसे करें। धान सही होगा तो ही वे चावल बनाकर जमा कर सकेंगे।
पुराने अमानक धान का उठाव करने के लिए मार्कफेड ने मिलरों का ऑटोमेटिक डीओ काट दिया। रायगढ़ जिले में मिलरों को करीब 1.40 लाख क्विंटल धान का उठाव किया जाना है, लेकिन जिले में इतना धान नहीं होने के कारण जांजगीर-चांपा और बलौदा बाजार का डीओ काट दिया गया। मिलरों के इंकार करने के बावजूद ऑटो डीओ काट दिया गया लेकिन राइस मिलरों ने धरना देकर उठाव से इंकार कर दिया। खराब धान के मुद्दे पर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में मिलरों को किसी भी हाल में उठाव करने का अल्टीमेटम दिया गया है। लेकिन खराब धान नहीं देने का भी निर्देश दिया गया है। लेकिन राइस मिलर भारी नुकसान को देखते हुए उठाव करने से मना कर रहे हैं। मिलरों का कहना है कि धान जिस गुणवत्ता का है, उससे अच्छा चावल बन ही नहीं सकता। एफसीआई में फोर्टिफाइड राइस की मिलिंग के लिए अच्छा धान चाहिए। इस बीच एफसीआई में केमिकल से टेस्टिंग की जा रही है। इसमें पुराना चावल रिजेक्ट हो जाता है। इसलिए राइस मिलरों के कई लॉट अब तक फेल हो चुके हैं। फेल लॉट का राइस मिलर क्या करेंगे। इधर विशेष सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मनोज सोनी ने जिलेवार धान उठाव व कस्टम मिलिंग करने आदेश जारी किया है।
सीएम भूपेश बघेल के साथ हुई बैठक में मिलरों ने अपनी समस्याओं को बताया, लेकिन उन्हें धान उठाव करने को कहा गया है। अब मिलर पशोपेश में हैं कि इतने खराब धान की मिलिंग कैसे करें। एफसीआई का आवंटन घटने का डरसूत्रों के मुताबिक धान का उठाव नहीं होने पर सरकार की मुसीबतें बढ़ जाएंगी। एफसीआई का टारगेट पूरा नहीं होने पर अगले सीजन में लक्ष्य घटकर आ जाएगा, तब धान का निराकरण मुश्किल होगा। नान के गोदामों में चावल का सरप्लस स्टॉक हो चुका है। इस साल भी धान की बंपर आवक होने वाली है। ऐसे में सरकार किसी भी तरह एफसीआई का टारगेट पूरा करना चाहती है ताकि ज्यादा आवंटन मिले।
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