ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

छत्तीसगढ़

-------------------------------------------------------रायपुर। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जेलों में पदस्थ रहे नौ जेलर बंदी पारिश्रमिक में पीड़ित पक्ष को प्रदान की जाने वाली राशि में गड़बड़ी के चलते जांच के दायरे में लिए गए हैं। जिन जेलरों के खिलाफ जांच चल रही हैं उनमें जशपुर जेल के तत्कालीन सहायक जेल अधीक्षक रमाशंकर सिंह ( वर्तमान पदस्थापना सूरजपुर ), उप जेल अधीक्षक उत्तम पटेल ( अब रायपुर में पदस्थ ) रायगढ़ जेल के जीएस शोरी ( फिलहाल प्रभारी जेल अधीक्षक दंतेवाड़ा ) एसके मिश्रा ( सेवानिवृत ) जांजगीर के एसएस जांगड़े ( वर्तमान में कटघोरा ) महासमुंद के डीडी टोण्डर ( वर्तमान में जांजगीर ) एसके साहू ( सेवानिवृत ) कोरबा के केएल देशमुख ( निधन ) और बेमेतरा के एसपी कुर्रे ( फिलहाल रायगढ़ में पदस्थापना ) शामिल बताये जा रहे हैं।

उल्लेखनीय हैं कि जेल में सजा काटने वाले तमाम बंदियों ( विचाराधीन को छोड़कर ) को शासन के नियम के अनुसार प्रतिदिन एक निश्चित पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है। वर्तमान में कुशल बंदी को 70 रुपए और अकुशल बंदी को 60 रुपए का भुगतान होता है। यह राशि बंदियों को एक साथ मिलती हैं, लेकिन इस राशि का एक बड़ा हिस्सा उस पीड़ित पक्ष को दिया जाता है जो बंदी के अपराध से प्रभावित होता है। अर्थात बंदी अगर हत्या के जुर्म में सजा काट रहा है तो उसके पारिश्रमिक का आधा हिस्सा पीड़ित के परिवार को प्रदान किया जाता है। पीड़ित को प्रदान की जाने वाली राशि में किसी तरह की अनियमितता न हो इसके लिए जेल विभाग की तरफ से कुछ नियम भी बनाए गए हैं। पीड़ित को दी जाने वाली राशि का भुगतान चेक के जरिए ही किया जाता है। पीड़ित पक्ष को राशि सही ढंग से पहुंचे इसके लिए जेल विभाग बकायदा थाने को लिखित पत्र के जरिए सूचना भी देता है।

सूत्रों के मुताबिक इस पूरे घपले को अंजाम देने के पीछे बिलासपुर जेल में सजा काट चुके घनश्याम जांगड़े नाम के एक कैदी की भूमिका बताई जाती है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व कैदी ने सहायक जेलरों से सांठगांठ कर रायगढ़ से जनार्दन वेलफेयर सोसायटी नाम से एक संस्था खोली और जशपुर जेल से अपना खेल प्रारंभ किया। एक शिकायत के बाद जब जांच प्रारंभ हुई तब पता चला कि पीड़ित पक्ष को दी जाने वाली अधिकांश धनराशि जनार्दन वेलफेयर सोसायटी के घनश्याम जांगड़े को ही प्रदान की जाती थीं।

इस जांच में खुलासा हुआ कि जशपुर जेल के रमाशंकर सिंह ने 23 लाख 84 हजार दो रुपए का गोलमाल किया है। इस तरह इसी जेल के उत्तम कुमार ने 7 लाख 75 हजार 815 की अफरा-तफरी की। जेल विभाग ने जेल अधीक्षक जीएस शोरी के खिलाफ जांच में पाया कि उन्होंने 18 लाख 20 हजार 328 रुपए का हेर-फेर किया है। जेल अधीक्षक एसके मिश्रा पर 4 लाख 37 हजार 78 रुपए, एसएल जांगड़े पर 38 लाख 77 हजार 113 रुपए, डीडी टोण्डर पर 10 लाख 65 हजार 235, एसके साहू पर 4 लाख 65 हजार 313, केएल देशमुख 6 लाख 22 हजार 750 एवं सहायक जेल अधीक्षक एसपी कुर्रे पर 16 लाख 90 हजार 781 रुपए के हेरफेर का आरोप है।

इन जेलरों में से उत्तम कुमार पटेल के खिलाफ एक पीड़ित ने एफआईआर भी दर्ज करवाई है। फिलहाल उत्तम कुमार जमानत पर है। जेल विभाग ने जांच में दोषी पाए गए सभी जेलरों को नोटिस जारी कर पीड़ित पक्ष को प्रदान की जाने वाली राशि को जमा करने के लिए कहा है। खबर हैं कि उत्तम पटेल और रमाशंकर सिंह ने अपनी गलती मानते हुए घोटाले की राशि जेल विभाग के पास जमा भी कर दी है। जेल विभाग के सूत्रों का कहना है कि संबंधित जेलरों के द्वारा राशि जमा कर दिए जाने के बाद भी विभागीय जांच चलती रहेगी। जेलरों में एक केएल देशमुख का कोरोना काल में निधन हो चुका है। देशमुख की फाइल बंद होगी या जांच चलती रहेगी यह फिलहाल साफ नहीं है। विभाग इन मामलों को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रहा हैं।

बिलासपुर के जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा मुताबिक़ बंदी पारिश्रमिक की राशि में से पीड़ित पक्ष को देय प्रतिकर राशि के भुगतान में जोरदार ढंग की अनियमितता सामने आई है। मैं सहायक जेल अधीक्षक टोण्डर और एसपी कुर्रे की जांच कर रहा हूं। अभी जांच चल रही है।वहीँ कांकेर के जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी का कहना हैं कि बंदी पारिश्रमिक की राशि में से पीड़ित पक्ष के परिजनों को राशि प्रदान करने का नियम है। मैं सहायक जेल अधीक्षक एसएलजांगड़े, एसके साहू और उत्तम पटेल के द्वारा की गई अनियमितता की जांच कर रहा हूं। अभी जांच पूरी नहीं हुई है। इसी तरह अन्य जेलों में हुई अनियमितता की भी जांच जेल विभाग करा रहा हैं।

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