ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
छत्तीसगढ़
-----------------------------------------------रायगढ़, 20 नवम्बर। इस बार पड़ोसी जांजगीर-चांपा जिले की चन्द्रपुर विधानसभा सीट पर रोचक चुनावी संग्राम देखने को मिल सकता है। वर्ष २०२३ के विधानसभा चुनाव में जशपुर राजपरिवार की बजाय पूर्व आईएएस अफसर ओपी चौधरी चंद्रपुर सीट से भाजपा के चेहरे बन सकते हैं। यह केवल कयास नहीं है बल्कि मौजूदा समीकरणों से इस बात के स्पष्ट संके त मिल रहे हैं। इसका खास खबब है- ओपी चौधरी की सियासी सक्रियता और चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र की गतिविधियों में ओपी चौधरी की अतिरिक्त दिलचस्पी लेना।

इस सूरत में युवा तुर्क महेश साहू को खरसिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है।
ओपी चौधरी के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस व कौतूहल बरकरार है। ओपी खरसिया, रायगढ़ अथवा चन्द्रपुर में से किस सीट पर भाग्य आजमाएंगे। यह सवाल सुलझने की दिशा में एक पड़ाव पार चुका है। पिछले तीन-चार महीनों की ओपी चौधरी की सियासी सक्रियता पर गौर फरमाएं तो एक बात अवश्य सामने आती है कि चन्द्रपुर विधानसभा क्षेत्र में ओपी चौधरी की बढ़ी क्रियाशीलता के असल मायने क्या हैं….?

राजनीतिक का सफर संभावनाओं का प्रथम पड़ाव है और तटस्थ प्रेक्षकों के मुताबिक, इस बार ओपी किसी प्रकार का कोई राजनैतिक जोखिम उठाने का साहस नहीं करेंगे। वैसे भी ओपी जांजगीर चांपा जिले के कलेक्टर रह चुके हैं, तबसे इस विधानसभा से उनका सतत् जुड़ाव रहा है। वहीं चन्द्रपुर प्रदेश की एकमात्र ऐसी सीट है जहां अघरिया समाज के सर्वाधिक मतदाता हैं। इसके अलावा ओपी चौधरी के नाते-रिश्तेदार चन्द्रपुर विधानसभा में काफी संख्या में है जो चन्द्रपुर की सियासत में ओपी चौधरी की रूचि लेने का अहम कारक हैं। भले ही यह अलग बात है कि ओपी चुनाव लड़ने के सवाल पर परहेज करते हैं और अगर वे ऐसा करते हैं तो इसमें कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि ओपी चौधरी भविष्य के खतरे से भली-भांति वाकिफ हो चुके हैं।

दूसरी ओर प्रदेश साहू समाज के कार्यकारी अध्यक्ष व भाजपा के जमीन से जुड़े नेता महेश साहू को इस बार खरसिया विधानसभा क्षेत्र का प्रत्याशी माना जा रहा है। महेश साहू की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है। पार्टी की हर गतिविधि व प्रत्येक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले महेश साहू ने अभी से जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं से आत्मीय लगाव रखना व वरिष्ठ नेताओं का वरदहस्त प्राप्त होना महेश साहू की दावेदारी का सर्वाधिक धनात्मक पहलू है। महेश साहू की संभावित उम्मीदवारी से कांग्रेस के अभेद्य गढ़ को क्या फर्क पड़ेगा, इस बात पर चर्चा करने के लिए अभी काफी समय है लेकिन महेश साहू खरसिया से भाजपा की टिकट मांगने वाले तमाम दावेदारों पर इक्कीस बैठते हैं, इस बात में कोई शक-सुबहा की गुंजाईश नहीं है।

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