सागर । लाठियों एवं पत्थर से मारपीट कर हत्या कारित करने वाले आरोपीगण देवराज दांगी एवं नन्नेराजा को द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश षिवबालक साहू जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-302 के तहत आजीवन कारावास एवं सात-सात हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। षेष आरोपीगण को संदेह का लाभ देते हुये दोषमुक्त किया गया एवं इसी मामले के काऊंटर प्रकरण में सभी आरोपीगण को दोषमुक्त किया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री सौरभ डिम्हा ने की ।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी श्री सौरभ डिम्हा ने बताया कि फरियादी नन्हे भाई सिंह ठाकुर ने जिला चिकित्सालय में देहाती नालिसी पर रिपोर्ट लेख कराई कि दिनॉक 27.06.2020 केा मै अपने टेकाराम वाले खेत पर कुॅआ की मरम्मत में था हमारा बड़ा भाई राजा भैया तथा लड़का रविन्द्र तथा मेरा छोटा भाई चंदन सिंह उर्फ हल्ले भाई सभी काम कर रहे थे उसी समय देवराज दांगी शाम करीब 4ः00 बजे वहॉ मौके पर आया और मुरम मेरे खेत की तार फैंसिंग की मेड़ पर डालने लगा, मना करने पर मुझे गंदी-गंदी गॉलियॉ देने लगा , गाली देने से मना किया तो देवराज ने मुझे मुॅह व नाक में कुल्हाड़ी की मुदानी मारी जो मुॅह नाक से खून निकलने लगा, उसी समय नन्नेराजा लाठी पत्थर लेकर, रामराजा लाठी लेकर इंद्रराज और रामनरेष लाठी पत्थर लेकर तथा रामअवतार भी लाठी लेकर एक राय होकर आये, ये सभी गाली देते हुये बोले कि आज छोड़ना नहीं है और जान से खत्म करना है जो इन सभी ने लाठी, पत्थर से मुझे व मेरे भाई हल्ले भाई , बड़े भाई राजा भईया तथा लड़का रवीन्द्र से मारपीट करने लगे जिससे मुझे मुॅह, नाक, पेट, वॉये जॉघ में और बड़े भाई राजा को दाहिने कंधा तथा बॉये पैर व पीठ में चोंटे आई, लड़का रवीन्द्र को सिर,सीना,पेट, पैरों में चोटें आई थी लड़का रवीन्द्र बेहोष हो गया था मौके पर भतीजा एवं अन्य लोग आ गये थे जिन्होंने बीच-बचाव किया फिर गाड़ी से आहत रवीन्द्र और छोटे भाई हल्ले के साथ तिली अस्पताल सागर आये जहॉ डॉक्टर द्वारा रवीन्द्र का मृत हो जाना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सुरखी द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 302, 307, 294, 323,324,147,148,149 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश , श्री षिवबालक साहू जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।
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