हटा। बहुचर्चित शिक्षक ब्लैकमेलिंग एवं आत्महत्या मामले में न्यायालय ने एक बड़ा आदेश पारित करते हुए तीन अतिरिक्त व्यक्तियों को आरोपी बनाए जाने का निर्देश दिया है। इस प्रकरण में पहले से ही दो आरोपी—जितेंद्र भट्ट और हरिशंकर दीक्षित—न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद हैं।

गौरतलब है कि हटा तहसील के शिक्षक राजेश त्रिपाठी की संदिग्ध परिस्थितियों में आगजनी से हुई मृत्यु ने प्रदेशभर में व्यापक चर्चा को जन्म दिया था। परिजनों तथा स्थानीय सूत्रों ने प्रारंभ से ही इस घटना को ब्लैकमेलिंग रैकेट से जोड़कर देखा।

मामले की विवेचना के दौरान हटा पुलिस ने प्रारंभ में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि पत्रकार ओपी सोनी के संबंध में जांच लंबित थी। प्रकरण अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राम सिंह बघेल की अदालत में विचाराधीन है।

गवाही में सामने आए तीन नए नाम

मृतक शिक्षक के परिजनों के बयान के दौरान तीन और व्यक्तियों—

1. ओपी सोनी, पत्रकार 


2. प्रशांत सिंह ठाकुर, 


3. दिनेश



—का नाम कथित रूप से घटना से जुड़े होने के रूप में सामने आया।

अतिरिक्त लोक अभियोजक दिलीप सिंह ने जानकारी दी कि परिजनों द्वारा दिए गए आवेदन पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए उपरोक्त तीनों के विरुद्ध हाजिर होने हेतु सूचना पत्र (नोटिस) जारी करने का आदेश पारित किया है।

न्यायालय का अधिकार स्पष्ट

आपराधिक मामलों के कानूनी विशेषज्ञ एवं लीगल डिफेंस चीफ मनीष नगाइच ने बताया कि न्यायालय, उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर, किसी भी व्यक्ति को अतिरिक्त आरोपी बनाए जाने में सक्षम है। उनके अनुसार—
“ऐसे आरोपियों पर दंड एवं विचारण की वही प्रक्रिया लागू होती है, जो नामजद आरोपियों पर होती है।”

प्रकरण की पृष्ठभूमि

अभियोजन के अनुसार, उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा आरटीआई से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ब्लैकमेलिंग कर धनराशि वसूलने और शिक्षक को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोप सामने आए हैं। इसी दबाव के कारण शिक्षक द्वारा आत्मदाह किए जाने की बात परिजन लगातार उठाते रहे हैं।

न्यायालय के नवीन आदेश के बाद प्रकरण में नए आयाम जुड़ गए हैं। अब आगामी तिथियों में नए आरोपियों की उपस्थिति, पुलिस की आगे की जांच तथा न्यायालय की कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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