जानकारी देते चलें कि जिला पंचायत सामान्य सभा मे सभापति ने बिल्हा जनपद पंचायत पर 15 वें वित्त योजना की राशि वितरण के समय चार प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप लगाय था। मामले में जांच की मांग भी किया। लेकिन सामान्य सभा की बैठक के दो दिन बाद जिला पंचायत CEO हरीश एस ने ऐसे किसी सवाल या जांच से इंकार किया।
ढाई करोड़ से अधिक घोटाला
सूत्रों की मानें तो 6 सचिवों ने मिलकर बीआर वर्मा के इशारे पर करीब ढाई करोड़ से अधिक राशि की कमीशनखोरी किया है। खबर मिलने के बाद प्ंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने जांच का आदेश दिया है। जिला पंचायत सीईओ ने जांच के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन किया है।
जांच समिति में शामिल अधिकारी कमीशनखोरी की जानकारी के बाद पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने तत्काल जिला प्रशासन को जरूरी निर्देश दिया। साथ ही जांच के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा। जिला प्रशा्सन के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ हरीश एस. ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम का प्रमुख परियोजना अधिकारी रिमन सिंह को बनाया गया है। रिमन सिंह के अलावा टीम में शिवानी सिंह उप संचालक पंचायत,3) अशोक कुमार धीरही प्रभारी जिला अंकेक्षक, नरेन्द्र जायसवाल जिला समन्वयक आरजीएसए को शामिल किया गया है।
डोंगल सीज करने का अधिकार नहीं शासन के नियमानुसार बिल्हा या किसी भी जनपद पंचायत सीईओ को सरपंच या सचिव के डोंगल बन्द करने का अधिकारी नहीं है। प्रशिक्षण के लिए क्लस्टर का भी गठन नहीं कर सकता है। ना ही चुनिंदा सचिव प्रशिक्षण ही दे सकता है। मामले में सारा आदेश जिला पंचायत स्तर पर होता है। सचिवों का प्रशिक्षण देने का काम डीपीएम करता है।
एक टिप्पणी भेजें